Success Story: स्कूल ड्रॉपआउट बेच रहा 5,500 रुपये लीटर गधी का दूध, अमेरिका, चीन, यूरोप तक फैला बिजनेस
Success Story: गधी के दूध को 'लिक्विड गोल्ड' कहा जाता है. गधी का दूध न सिर्फ स्किन के लिए बेहतर साबित हुआ है, बल्कि कई बीमारियों को मिटाने में भी कारगर साबित हुआ है.
गधी के दूध को 'लिक्विड गोल्ड' कहा जाता है. (Image- Freepik)
गधी के दूध को 'लिक्विड गोल्ड' कहा जाता है. (Image- Freepik)
आपने गाय, भैंस, बकरी आदि के दूध का कारोबार करते तो बहुतों को देखा सुना होगा, लेकिन तमिलनाडु के रहने वाले बाबू उलगनाथन गधी के दूध (Donkey Milk) का बिजनेस कर मोटा मुनाफा कमा रहे हैं. स्कूल ड्रॉपआउट होने के बावजूद उनकी अटूट उद्यमशीलता की भावना ने उन्हें सफलता के लिए प्रेरित किया, जिससे वे उद्योग में एक प्रतिष्ठित व्यक्ति बन गए. वे गधी के दूध से कई प्रोडक्ट बना रहे हैं और कॉस्मेटिक कंपनियों को भी गधी के दूध की सप्लाई करते हैं. उनका बिजनेस अमेरिका, यूरोप, यूएई और चीन तक फैला हुआ है.
गधी के दूध को 'लिक्विड गोल्ड' कहा जाता है. गधी का दूध न सिर्फ स्किन के लिए बेहतर साबित हुआ है, बल्कि कई बीमारियों को मिटाने में भी कारगर साबित हुआ है. गधी के दूध का सबसे बड़ा फायदा ये है कि इसे निकालने के बाद काफी दिन तक सुरक्षित रखा जाता है, जबकि गाय, भैंस, बकरी और ऊंटनी का दूध कुछ ही समय में खराब हो जाता है.
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5500 रुपये लीटर बेचते हैं गधी का दूध
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बाबू उलगनाथन ने साल 2022 में भारत के सबसे बड़े गधों के फार्म 'द डोंकी पैलेस' की स्थापना की. गधी के दूध की डिमांड अब भारत में भी अब बढ़ रही है. बाबू उलगनाथन वन्नारपेट के एक संपन्न उद्यमी है. भारत के सबसे बड़े गधों के फार्म की स्थापना और कुछ कॉस्मेटिक निर्माण कंपनियों के लिए गधी के दूध के विश्वसनीय आपूर्तिकर्ता बनने के लिए जाने जाते हैं. एक लीटर गधी के दूध की कीमत 5,550 रुपये है. वो गधी के दूध के अलावा डोंकी मिल्क पाउडर, डोंकी मिल्क घी भी बनाते हैं.
कैसे हुई शुरुआत?
बाबू उलगनाथन की टीम ने आईसीएआर-राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केंद्र में उद्यमिता विकास कार्यक्रम में भाग लिया, जहां उन्होंने गधों और गधों की फार्मिंग के बारे में तकनीकी ज्ञान प्राप्त किया. इसके अलावा, आईसीएआर-एनआरसीई (ICAR - NRCE) ने उनको गधा फार्म 'द डोंकी पैलेस' स्थापित करने के लिए कुलीन पोटू गधों की सुविधा प्रदान की.
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तमिलनाडु में गधों की सीमित संख्या से उत्पन्न चुनौतियों के बावजूद प्रत्येक दूध देने वाली मादा छह महीने तक प्रति दिन एक लीटर से कम दूध देने में सक्षम है. उनके दृढ़ संकल्प और कड़ी मेहनत का फल मिला और उन्होंने खुद को एक सफल उद्यमी के रूप में स्थापित किया है.
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वर्तमान में, बाबू उलगनाथन ने 75 से अधिक फ्रेंचाइजी फार्मों के साथ फ्रैंचाइजी मॉडल के माध्यम से लगभग 5000 गधों का प्रबंधन करते हुए भारत के सबसे बड़े गधों के फार्म की स्थापना की है. उन्होंने 'द डोंकी पैलेस' वन हेल्थ - वन सॉल्यूशन - एक संरक्षण, मनोरंजन और जागरूकता केंद्र भी स्थापित किया है, जिसका उद्देश्य गधों के मूल्य और समाज और अर्थव्यवस्था में योगदान को बढ़ावा देना है.
ICAR के मुताबिक, द डोंकी पैलेस के उत्पादों में गधी का ताजा दूध, गधी के दूध का पाउडर, गधे का गोबर उर्वरक के रूप में प्रयोग किया जाता है और सिद्ध दवाओं और फार्मा उद्योग के लिए डिस्टिल्ड गधे का मूत्र के प्रोडक्ट हैं. उनकी नजर में देशी गधों की नस्लों को संरक्षित करना, उनकी स्थिति को बढ़ाना, गधों का संरक्षण और समाज में गधों की निराशावादी धारणा को खत्म करना है.
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